सारंगढ़| आखिर बिना डायवर्शन कराए गोदाम बनाने का प्रक्रिया इतना आसान लगता इस व्यक्ति को! हे..भगवान? राईसमील का धान रखने के लिए गोडम के एक रईसपति व्यक्ति ने सरकार द्वारा दूसरे गरीब व्यक्ति को दिया गया आबादी पट्टे के जमीन पर बना दिया अपना राईसमील के धान रखने का बड़ा गोदाम। जहा करोड़ों का धान रखने के लिए लगभग एकड़ भर जमीन को अपने अधीनस्थ कर बना दिया गोदाम न कोई व्यावसायिक पंजीयन ना कोई उद्योगी पंजीयन फीर भी बना दिया धान रखने का गोदाम, जहां रोड से लगे स्थान पर जिसका सिवाना ग्राम पंचायत गोडम वा कपिस्दा के मध्य में स्थित सरकारी जमीन न कोई किसान किताब न कोई निजी रिकॉर्ड फिर भी बना दिया गया गोदाम। जबकि गोदाम बनाकर व्यावसाय कर रहा है। सरकार का निर्देश है की उस व्यक्ति को ही आबादी पट्टा देना है जिसके पास जमीन नहीं है और न ही अच्छे से घर है सरकार की नियत है की झुग्गी झोपड़ी से राहत मिल सके उसी टाइप व्यक्तियो को इसका लाभ सरकार ने देने का कार्य किया है लेकिन सरकार की इस मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे है इस उद्योग पति और उस व्यक्ति का स्थिति तो देखो क्या उसके पास पूर्व से रहने को घर था तो क्यों दिया गया आबादी पट्टा? क्या किराए चलाने या फिर माजरा कुछ और है ,जो समझ से परे? यह उस उद्योगपति का कारनामा तो देखो जिसको न तो सरकार का डर और न उस व्यक्ति का मिला हुआ आबादी पट्टे रद्द होने का डर। क्या उस यादव व्यक्ति को आबादी पट्टा दिया गया है? या साल अमानत राशि पटाने वाला मिला था जमीन? यही नहीं ग्रामीणों की माने तो प्रथम दृश्य यादव को 80 ढिस्मिल के आस पास जमीन दिया गया था लेकिन उद्योगपति ने दूसरे गांव के भी जमीन को हड़प कर ले लिया बेजा लाभ, जितना आबादी पट्टे यादव व्यक्ति को मिला उसके आस पास के और जमीन की आकार को बड़ा करके व्यावसाय का गोदाम बना लिया गया है। जबकि सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक व्यावसाय करने के लिए एक व्यावसायिक पंजीयन या उद्योगी पंजीयन कराना अनिवार्य है! लेकिन गोडम का इस रईस ने बिना किसी परमिशन का बना दिया बड़ा गोदाम वही सरकार को बिना जानकारी प्रेषित किए इतना बड़ा झोल का खेल आखिर किसके संरक्षण पर? भाग 1
“भाग दो में दिखाएंगे आखिर कौन है वह व्यक्ति जिसने इस घटना को दिया है अंजाम” comming soon 2
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबित राजीव गांधी आश्रय योजना या साल राशि अमानत पटाकर मिला है जमीन इसका अभी तक मसला का समाधान नहीं हो पाया है। सबसे बड़ी बात गोदाम बनाने के लिए बिना पर्चा पुस्तिका के कैसे बना दिया गया आबादी जगह पर गोदाम समझ से परे है। वही सारंगढ़ के अंतर्गत गोडम गांव के एक यादव व्यक्ति को झुग्गी झोपडी से राहत देने के लिए इस योजना के अंतर्गत लगभग 80 ढिसमिल जमीन का आबादी पट्टा दिया गया था! या अमानत राशि पटाकर प्राप्त किया गया हक का जमीन जिस पर घर बनाकर अपना परिवार का रहने का उत्तम जुगाड करने की जुगत से सरकार इस योजना का लाभ झुग्गी झोपड़ी वाले परिवार को दिया गया था लेकिन सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत गोडम में एक नया तरीका आया जहा उद्योगपति ने इस व्यक्ति को तो कितना खर्च दिया या कैसे लिखा पढ़ी कराया समझ से परे है लेकिन उसके आबादी पट्टे पर राईसमील का धान रखने के लिए गोदाम बनाकर व्यावसाय करना कितना है गलत है। इस बात का जानकारी न तो विभाग को है और न ही सरकार को।