सारंगढ़ (डीएनआई न्यूज)| जिले में धान खरीदी के नाम पर फर्जीवाड़ा खरीदी पूरी होने के बाद सामने आ रहा है। यहां सरकारी भूमि का पंजीयन कराकर लाखो रूपए का धान कहीं बिचौलियों ने तो कहीं खरीदी केन्द्र से जुड़े आपरेटर, केन्द्र प्रभारियों ने जमकर गड़बड़ी कर दी। ऐसे मामलो में छत्तीसगढ़ में बहुतों समिति प्रबंधकों के उपर एफ आई आर भी हो चुकी है।

चमारसिंह बरीहा के नाम पर सरकारी भूमि की पंजीयन कर एक टोकन में 64.00 क्विंटल धान वही दूसरी टोकन में 15.60 क्विंटल धान की बिक्री किया गया है।
प्रबंधक,ऑपरेटर सभी की मिलीभगत से यह कारनामा साकार हो पाया है ,इस सरकारी भूमि को आखिर निजी बनाया गया लाखो रुपए का सरकार को चपत लगाया गया आखिर जिम्मेदार कौन?
बेचा गया धान का राशि भी उनके खाते में आ गई। चमारसिंह सरिया ब्लाक के गोबरसिंघा धान खरीदी केंद्र का मामला बताया जा रहा है।
वही मामले सामने आने के बाद अब परत दरपरत फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो रहा है। पटवारियों द्वारा आंख मूंद कर घर बैठे गिरदावरी करने व तहसीलदारों के द्वारा बिना जांचे परखे पंजीयन किए जाने से इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। गड़बड़ियां इतनी है कि प्रशासन एफआईआर कराते थक जाएगा। कलेक्टर ने धान खरीदी के दौरान केन्द्रों की निगरानी के लिए दल का गठन किया था। मगर ये दल केवल कागजों तक ही सीमित रहा। बताया जा रहा है की जिस सरकारी भूमि का पंजीयन किया गया है वह किसी अधिकारी का होने की दावा किया जा रहा है जो रायगढ़ जिले के किसी जगह में कानूनगो कार्यलय में पदस्थ है इस कारण इनके ऊपर करवाही नही होने की बात विश्वस्थसूत्रो से निकल रही है। लेकिन प्रबंधक को कर कमलों से यह फर्जीवाड़ा पूरी किया गया है अगर फर्जी पंजीयन हुआ है तो समिति प्रबंधक चाहता तो उस पंजीयन के संबंध में धान खरीदी रोक के उच्च अधिकारियों को अवगत कराता लेकिन ऐसा नहीं किया और उनका सरकारी भूमि का रिकार्ड को शामिल कर धान पंजीयन कर फर्जी खरीदी कर सरकार को चुना लगाने में मास्टर डिग्री हासिल कर लिया।
अब देखते है जिले।अधिकारी किस प्रकार संज्ञान लेते है।