अनिश्चितकालीन हड़ताल का तीसरा दिन महिला शक्ति ने सम्हाली कमान
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराने की कगार पर है। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की कमान श्याम बिहारी जायसवाल जी संभाल रहे हैं लेकिन लगभग सभी वर्ग के कर्मचारी एक-एक कर हड़ताल पर चले गए हैं। नतीजतन न तो अस्पतालों में मरीजों को सही इलाज मिल रहा है और न ही दवाइयाँ उपलब्ध हो पा रही हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं। वही आज सभी महिलाओं ने अपनी मांग को हाथो में मेहंदी लगाई।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने बताया कि एनएचएम के 16,000 से अधिक कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों—जिनमें नियमितीकरण, ग्रेड पे, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना और लंबित 27% वेतनवृद्धि शामिल हैं—को लेकर 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
जिलाध्यक्ष योगेश्वर चन्द्रम ने कहा –
” यदि सरकार वास्तव में जनता और कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील है तो तुरंत आदेश जारी करे।”
हड़ताल की स्थिति इस प्रकार :
1. मितानिन – 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं और मातृ-शिशु देखभाल पूरी तरह ठप।
2. एनएचएम कर्मी – 18 अगस्त से हड़ताल पर, जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक कामकाज ठप।
3. आरएचओ संघ – 22 अगस्त से हड़ताल में शामिल होने की घोषणा।
4. स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय, तृतीय कर्मचारी – 22 अगस्त से हड़ताल की तैयारी।
हड़ताल से प्रभावित प्रमुख सेवाएँ :
मरीजों को दवाइयाँ देने वाले नहीं
नवजात शिशु वार्ड और पोषण आहार केंद्र प्रभावित
शुगर, ब्लड टेस्ट, ट्रूनाट-सीबीनाट से बलगम टेस्ट और नेत्र जाँच बाधित
स्कूल व आंगनबाड़ी स्वास्थ्य परीक्षण पूरी तरह ठप
रूटीन टीकाकरण बंद
टीबी, मलेरिया, कुष्ठ जैसी बीमारियों के मरीजों को दवाइयाँ नहीं मिल रहीं
जनता पर सीधा असर
गांव-गांव में दवाइयाँ और जांचें बंद हो गई हैं। कई अस्पतालों में अव्यवस्था इतनी बढ़ गई है कि वे पूरी तरह बंद होने की कगार पर पहुँच चुके हैं। मजबूर मरीज निजी अस्पतालों की शरण लेने मजबूर होंगे, जहाँ महंगा इलाज उनकी जेब पर भारी पड़ सकता है।
